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Channel: महेंद्र सिंह किरौला –हिन्दी साहित्य काव्य संकलन
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नीरज……

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कैसा तेरा खेल है ईश्वर , जीवन कितना सूक्ष्म व नश्वर ! क्या मेरी एक इच्छा पूर्ति कर पायेगी तेरी नियति? तू जब कोई पेड़ लगाये पात्र मेरी मिटटी का बनाये बीज मेरे मित्र को बनाके इस विरहअश्रु से अंकुर आये फिर माली का धर्म निभाकर तने पर उसके सामर्थ्य लगाकर शाखाओ मे सबको बिठाकर यादो की मलय समीर बहाये जब तरु मंद पवन से झीमे कौतुहल खगकुल का उसपर रंग बिरंगी जीवों का बसेरा और उसमे हम सबका भी डेरा हरित तृणों का नृत्य आलौकिक पुष्प- फलो के सुहाने सपने अवनि से अम्बरतल तक देखु सखा सारे उसके और

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